खुश तो हम
अकेलेभी रह लेते है ।
मगर साथ हो अपनोका
तो दो चार दीन
जादा ही जी लेते है ।
Sanjay R.
तीर भी अपना
कमान भी अपनी ।
सीना भी अपना
दर्द भी अपना ।
ना कुछ पराया तो
सबकुछ है अपना ।
अब चाहत है दिलमे
साथभी हो तो अपना ।
Sanjay R.
ना कहो हमे पत्थर दील
दील है अमानत आपकी ।
चाहो जैसे तोडो मरोडो
चाहत तो सिर्फ है आपकी ।
Sanjay R.
चाहत दिलमे इतनी
की बयाॅ न कर सके ।
दील उनका तुटा और
हम कुछ ना कर सके ।
अबभी दिलमे तमन्ना है वही ।
क्या करे हम भी
उन्हे समझा न सके ।
Sanjay R.